Sharabi Shayari in Hindi - शराबी शायरी मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती! मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती! सब जानते हैं मैं ...
Sharabi Shayari in Hindi - शराबी शायरी
मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती!
मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती!
सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,
फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती!
पीने से कर चुका था मैं तौबा मगर 'जलील'
बादल का रंग देख के नीयत बदल गई,.,!!!
तुम क्या जानो शराब कैसे पिलाई जाती है!
खोलने से पहले बोतल हिलाई जाती है!
फिर आवाज़ लगायी जाती है
आ जाओ दर्दे दिलवालों!
यहाँ दर्द-ऐ-दिल की दावा पिलाई जाती है!
मदहोश कर देता है तेरे ये देखने का अंदाज़
और लोग सोचते हैं कि हम पीते बहुत है
मैं तोड़ लेता अगर वो गुलाब होती!
मैं जवाब बनता अगर वो सवाल होती!
सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,
फिर भी पी लेता अगर वो शराब होती!
थोड़ी सी पी शराब थोड़ी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी!
पीते थे शराब हम;
उसने छुड़ाई अपनी कसम देकर;
महफ़िल में गए थे हम;
यारों ने पिलाई उसकी कसम देकर।
यह शायरी लिखना उनका काम नहीं;
जिनके दिल आँखों में बसा करते हैं;
शायरी तो वो शख्श लिखता है;
जो शराब से नहीं कलम से नशा करता है।
ख़ुद अपनी मस्ती है जिस ने मचाई है हलचल
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल
रात गुम सी है मगर चैन खामोश नही,
कैसे कह दूँ आज फिर होश नही,
ऐसा डूबा तेरी आँखों की गहराई में ,
हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही
के आज तो शराब ने भी अपना रंग दिखा दिया,
दो दुश्मनो को गले से लगवा, दोस्त बनवा दिया
आज अंगूर की बेटी से मोहब्बत कर ले
शेख साहब की नसीहत से बगावत कर ले
इसकी बेटी ने उठा रखी है सर पर दुनिया
ये तो अच्छा हुआ अंगूर को बेटा न हुआ
पी के रात को हम उनको भुलाने लगे;
शराब मे ग़म को मिलाने लगे;
ये शराब भी बेवफा निकली यारो;
नशे मे तो वो और भी याद आने लगे।
ये तो देखा कि मिरे हाथ में पैमाना है
ये न देखा कि ग़म-ए-इश्क़ को समझाना है
कुछ सही तो कुछ खराब कहते हैं;
लोग हमें बिगड़ा हुआ नवाब कहते हैं;
हम तो बदनाम हुए कुछ इस कदर;
कि पानी भी पियें तो लोग शराब कहते हैं।
फिर ना पीने की कसम खा लूँगा;
साथ जीने की कसम खा लूँगा;
एक बार अपनी आँखों से पिला दे साकी;
शराफत से जीने की कसम खा लूँगा।
शराब और मेरा कई बार ब्रेकअप हो चुका है;
पर कमबख्त हर बार मुझे मना लेती है
कुछ नशा तो आपकी बात का है;
कुछ नशा तो धीमी बरसात का है;
हमें आप यूँ ही शराबी ना कहिये;
इस दिल पर असर तो आप से मुलाकात का है।
बैठे हैं दिल में ये अरमां जगाये;
कि वो आज नजरों से अपनी पिलायें;
मजा तो तब है पीने का यारो;
इधर हम पियें और नशा उनको आये।
हम तो जी रहे थे उनका नाम लेकर;
वो गुज़रते थे हमारा सलाम लेकर;
कल वो कह गए भुला दो हमको;
हमने पूछा कैसे, वो चले गए हाथों मे जाम देकर।
नशा मोहब्बत का हो या शराब का होश दोनों में खो जाते है
फर्क सिर्फ इतना है की शराब सुला देती है
और मोहब्बत रुला देती है
महफ़िल – ऐ -इश्क सजाओ तो कोई बात बने
दौलत-ऐ -इश्क लुटाओ तो कोई बात बने
जाम हाथों से नहीं है पीना मुझको कभी
आँखों से पिलाओ तो कोई बात बने