इंतज़ार शायरी - Best Intjar Hindi Shayari Collection “ए पलक तु बन्द हो जा, ख्बाबों में उसकी सूरत तो नजर आयेगी इन्तजार तो स...
ख्बाबों में उसकी सूरत तो
नजर आयेगी इन्तजार तो
सुबह दुबारा शुरू होगी
कम से कम रात तो
खुशी से कट जायेगी ”
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उनका भी कभी हम दीदार करते है
उनसे भी कभी हम प्यार करते है
क्या करे जो उनको हमारी जरुरत न थी
पर फिर भी हम उनका इंतज़ार करते है !
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उसके इंतजार के मारे है हम..
बस उसकी यादों के सहारे है हम…
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब..??
जिसे दुनियाँ से जीतना था
आज उसी से हारे है हम..
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तेरे इंतजार मे कब से उदास बैठे है
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे है
तू एक नज़र हम को देख ले
इस आस मे कब से बेकरार बैठे है
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कोई वादा नहीं फिर भी तेरा इंतज़ार है!
जुदाई के बाद भी तुम से प्यार है!
तेरे चेहरे की उदासी बता रही है!
मुझसे मिलने के लिये तू भी बेकरार है!
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उसने कहा अब किसका इंतज़ार है;
मैंने कहा अब मोहब्बत बाकी है;
उसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है
मैंने कहा अब भी
मेरा हौसला बाकी है!
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होंठ कह नहीं सकते जो फ़साना दिल का;
शायद नज़रों से वो बात हो जाए;
इस उम्मीद से करते हैं इंतज़ार रात का;
कि शायद सपनों में ही मुलाक़ात हो जाए!
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मजा तो हमने इंतजार में देखा है,
चाहत का असर प्यार में देखा है,
लोग ढूंढ़ते हैं जिसे मंदिर मस्जिद में,
उस खुदा को मैने आपमें देखा है
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कौन कहता है इश्क़ मे बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ मे बस इनकार होता है,
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो,
क्यूंकी इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतेज़ार होता है…
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ये ना थी हमारी किस्मत
कि विशाल-ए-यार होता;
अगर और जीते रहते,
यही इंतज़ार होता।
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मुमकिन नही शायद किसी को समाज पाना,
समझे बिना किसी से क्या दिल लगाना,
आसान है किसी को प्यार करना,
बहुत मुश्किल है किसी का प्यार पाना.
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पलट के आएगा वो,
मैं इंतेज़ार करती हू कसम खुदा की,
उसे अब भी प्यार करती हू,
मैं जानती हू की,
ये सब दर्द देते ह मगर मैं
अपनी चाहतो पे आज ब एतबार करती हू.
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रात को जब चाँद सितारे चमकते हैं;
हम हरदम फिर तेरी याद में तड़पते हैं;
आप तो चले गए हो छोड़कर हम को;
मगर हम मिलने को तरसते है।
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दिल में तुम्हारी तस्वीर,
आँखों में आसूनो के मेले है.
तुम्हे क्या बत्ताईन
तुम बिन कितने अकेले हैं.
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हर मंजिल पे एक किनारा दिखता था मगर
उसके बाद एक रोता समंदर भी रहता था
हम नहीं गए उस किनारे पे दिल के लिए
जहाँ आँसू न थे पहले से कुछ न कुछ
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जख़्म दर जख़्म हम पाते गए कुछ न कुछ
हर दर्द हर गम पे गाते गए कुछ न कुछ
जो मुझे एक पल की खुशी दे न सके
वो हर पल सितम ढ़ाते गए कुछ न कुछ
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तेरे इंतेज़ार मे छोड़ा दुनिया का साथ,
तेरे इंतेज़ार मे छोड़ा अपनो का साथ,
ज्ब तुझे जाना ही था तू क्यू दिया वादो का साथ,
रह गया अब मे बस अपनो गामो क साथ…
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तुम आय तो लगा हर खुशी आ गई
यू लगा जैसे ज़िन्दगी आ गई
था जिस घड़ी का मुझे कब से इंतज़ार
अचानक वो मेरे करीब आ गई ...
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कब उनकी पलकों से इज़हार होगा;
दिल के किसी कोने में हमारे लिए प्यार होगा;
गुज़र रही है रात उनकी याद में;
कभी तो उनको भी हमारा इंतज़ार होगा!
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जान से भी ज़्यादा उन्हे प्यार किया करते थे
याद उन्हे दिन-रात किया करते थे
अब उन राहों से गुज़रा नही जाता
जहाँ बैठ कर उनका इंतज़ार किया करते थे
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रोये हैं बहुत आज हम तेरे नाम से
क्यू होती है तड़प तेरे एक ख़याल से ,
जब तू खुश है , अपनी ही दुनिया में
फिर क्यू जीए हम तेरे इंतेज़ार में .
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इंतज़ार है हमे आपके आने का,
वो नज़रे मिला के नज़रे चुराने का,
मत पूछ ए-सनम दिल का आलम क्या है,
इंतज़ारा है बस तुझमे सिमट जाने का.
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पल भर का प्यार और बरसों का इंतेज़ार,
जैसे कोई अपना ही अपने घर को लूट रहा है…
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वक़्त होना चाहिए किसी को याद करने क लिए,
बहाना तो अपने आप मिल जाता है,
जब याद ही ना करना हो किसी को,
तो वक़्त ही बहाना बन जाता है
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कुछ रिश्ते खुदा बनाते हैं,
कुछ रिश्ते लोग बनाते हैं,
कुछ लोग बिना रिश्ते के ही रिश्ता निभाते हैं,
शायद वही दोस्त कहलाते हैं…
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न टूटा है साहिल, न तूफान की आहट है…
फिर क्यूँ इंतेज़ार-ए-करार है हर लम्हा ?
न सजदा किया, न दुआ ही माँगी है…
फिर क्यूँ इंतेज़ार-ए-बहार है हर लम्हा ?
न शमा बुझी, न परदा ए हुस्न है…
फिर क्यूँ इंतेज़ार-ए-खुमार है हर लम्हा ?
न वादा कोई किया, न कसमें खाई हैं…
फिर क्यूँ इंतेज़ार-ए-यार है हर लम्हा ?
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तेरे चहरे की मासूमियत अब तक भुला नहीं हूँ ,
बंद हूँ तब से तेरी कैद में , अब तक खुला नहीं हूँ ....
शराफत , शरारत , नजाकत तेरी हर अदा से मुझे प्यार है ...
किसी और का नहीं मुझे सिर्फ तेरा ही इंतेज़ार है ..
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हर वक़्त बस एक ही सोच में रहता हूँ ,
कभी मुझसे तो कभी खुद से ही कहता हूँ ...
तू मिल जाए तो , ज़िन्दगी खुशगवार है ,
किसी और का नहीं मुझे सिर्फ तेरा ही इंतज़ार है ....
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जिन दिनो आप थे, आँख में धूप थी...
जिन दिनो आप रहते थे, आँख में धूप रहती थी...
अब तो जाले ही जाले हैं, वे भी जाने वाले हैं...
वो जो था दर्द का क़रार कहाँ...
वो जो था दर्द का क़रार कहाँ...
अब मुझे कोई इंतेज़ार कहाँ...
वो जो बहते थे आब्शार कहाँ...
अब मुझे कोई इंतेज़ार कहाँ
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उसके इंतजार के मारे है हम..
बस उसकी यादों के सहारे है हम…
दुनियाँ जीत के कहना क्या है अब..??
जिसे दुनियाँ से जीतना था
आज उसी से हारे है हम..
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नज़र चाहती है दीदार करना;
दिल चाहता है प्यार करना;
क्या बताएं इस दिल का आलम;
नसीब में लिखा है इंतज़ार करना।
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दिल में इंतज़ार की लकीर छोड़ जायेंगे;
आँखों में यादों की नमी छोड़ जायेंगे;
ढूंढ़ते फिरोगे हमें हर जगह एक दिन;
ज़िन्दगी में ऐसी अपनी कमी छोड़ जायेंगे।
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लम्हा-लम्हा इंतज़ार किया उस लम्हे के लिए;
और वो लम्हा आया भी तो बस एक लम्हे के लिए;
गुज़ारिश है यह खुदा से कि काश;
वो लम्हा फिर से मिल जाये बस एक लम्हे के लिए।
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बड़ी मुश्किल में हूँ कैसे इज़हार करूँ;
वो तो खुशबु है उसे कैसे गिरफ्तार करूँ;
उसकी मोहब्बत पर मेरा हक़ नहीं लेकिन;
दिल चाहता है आखिरी सांस तक
उसका इंतज़ार करूँ।
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तड़प कर देखो किसी की चाहत में;
पता चलेगा इंतज़ार क्या होता है;
यूँ ही मिल जाता बिना कोई तड़पे तो;
कैसे पता चलता कि प्यार क्या होता है।
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पलट के आयेगी वो, मैं इंतज़ार करता हूँ;
क़सम खुदा की, उसे अब भी प्यार करता हूँ;
मैं जानता हूँ कि ये सब दर्द देते हैं मगर;
मैं अपनी चाहतों पे आज भी ऐतबार करता हूँ।
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हमने ये शाम चिरागों से सजा रखी है;
आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैं;
हवा टकरा रही है शमा से बार-बार;
और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रखी है।
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यादों से तेरी हम प्यार करते हैं;
100 जन्म भी तुझ पर निसार करते हैं;
फुर्सत मिले तो आ जाना मेरी ज़िंदगी में;
उसी पल का तो हम दिन रात इंतज़ार करते हैं।
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इश्क़ कर देता है बेक़रार;
भर देता है पत्थर के दिल में प्यार;
हर एक को नहीं मिलती ज़िंदगी की यह बहार;
क्योंकि इश्क़ का दूसरा नाम है इंतज़ार।
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मोहब्बत का इम्तिहान आसान नहीं;
प्यार सिर्फ पाने का नाम नहीं;
मुद्दतें बीत जाती है किसी के इंतज़ार में;
यह सिर्फ पल दो पल का काम नहीं।
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उस नज़र को मत देखो;
जो आपको देखने से इनकार करती है;
दुनियां की भीड़ में उस नज़र को देखो;
जो सिर्फ आपका इंतजार करती है।
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जिंदगी हे सफर का सील सिला,
कोइ मिल गया कोइ बिछड़ गया,
जिन्हे माँगा था दिन रत दुआ ओमे,
वो बिना मांगे किसी और को मिल गया.
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याद तेरी आती है क्यो.यू तड़पाती है क्यो?
दूर हे जब जाना था.. फिर रूलाती है क्यो?
दर्द हुआ है ऐसे, जले पे नमक जैसे.
खुद को भी जानता नही, तुझे भूलाऊ कैसे?
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जीना चाहता हूँ मगर जिनदगी राज़ नहीं आती ,
मरना चाहता हूँ मगर मौत पास नहीं आती ,
उदास हूँ इस जिनदगी से ,
क्युकी उसकी यादे भी तो तरपाने से बाज नहीं आती ..
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वो कह कर गया था मैं लौटकर आउंगा;
मैं इंतजार ना करता तो क्या करता;
वो झूठ भी बोल रहा था बड़े सलीके से;
मैं एतबार ना करता तो क्या क्या करता।
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भले ही राह चलते का दामन थाम ले,
मगर मेरे प्यार को भी तू पहचान ले,
कितना इंतेज़ार किया है तेरे इश्क़ में,
ज़रा यह दिल की बेताबी तू जान ले..
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कौन कहता है इश्क़ मे बस इकरार होता है
कौन कहता है इश्क़ मे बस इनकार होता है,
तन्हाई को तुम बेबसी का नाम ना दो,
क्यूंकी इश्क़ का दूसरा नाम ही इंतेज़ार होता है
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तेरे इंतज़ार का ये आलम है,
तड़प्ता है दिल आखें भी नम है,
तेरी आरज़ू में जी रहे है,
वरना जीने की ख्वाहिश कम है
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इंतजार उसका जिसके आने की कोई आस हो,
खुश्बू भी उस फूल की जो मेरे पास हो,
मंज़िल ना मिल सकी हमे तो कोई बात नही,
गम भी उसी शख्स का होता है जिसे प्यार का एहसास हो.
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ना जाने क्यों ए जिंदगी मुझे तेरी तलाश है.......
माना करोड़ पल है इस जिंदगी मैं,
पर तेरे साथ बीताया एक पल उन करोड़ों से खास है .........
इस लिए ए जिंदगी मुझे तेरी तलाश है........!!!
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यादों में तेरी तन्हा बैठे;
हैं तेरे बिना लबों की हंसी;
गवा बैठे हैं तेरी दुनिया में;
अँधेरा न हो इसलिए खुद का दिल जला बैठे हैं।
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